MP सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्तों में मांगा जवाब

MP OBC Reservation: ओबीसी आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और पूछा-आबादी के हिसाब से OBC को आरक्षण क्यों नहीं ? चार हफ्ते में सरकार से जवाब मांगा है।ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Cour) ने मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में मांग की गई है कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।मामले में शुक्रवार,17 अक्टूबर को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने सुनवाई हुई। कोर्ट ने पूछा- जब अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जा रहा है, तो ओबीसी वर्ग को ऐसा आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा ?
51 % लोगों को 27 % आरक्षण..
सरकार के हलफनामे के अनुसार, राज्य में ओबीसी की आबादी 51% है। 2011 की जनगणना के अनुसार, एससी की आबादी 15.6%, एसटी की 21.01%, और ओबीसी की 50.01% है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जब एससी-एसटी को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण मिला है, तो ओबीसी को इससे वंचित रखना समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन है।
मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिका में मप्र आरक्षण अधिनियम, 1994 की धारा 4(2) को असंवैधानिक बताया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह धारा संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन करती है। सीनियर वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने तर्क दिया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में एससी वर्ग को 16%, एसटी वर्ग को 20%, जबकि ओबीसी वर्ग को केवल 27% आरक्षण दिया गया है।
